शहर विधायक आकाश सक्सेना ने रामपुर की नदियों और झीलों को उनके पुराने स्वरूप में वापस लाने के लिए जिलाधिकारी को एक पत्र लिखा है। उनका मानना है कि रामपुर की विरासत और प्राकृतिक संसाधनों का पुनरुद्धार जरूरी है, जिससे शहर की पहचान फिर से नदियों और झीलों के रूप में हो सके। उन्होंने 1954 के आधार वर्ष और नक्शों के अनुसार नदियों और झीलों को पुनः स्थापित करने की मांग की है।
प्रदेश सरकार प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए प्रयासरत है, और रामपुर की कई नदियों—जैसे कोसी, गागन, घूघा, पीलाखार, नाहल, बाह, सैंजनी, भाकड़ा, धीमरी, कच्चिया, और हाथी चिंघाड़—पर अतिक्रमण हो चुका है। इन नदियों की जमीन पर खेती, मकान, और बड़ी इमारतें बन चुकी हैं। बिलासपुर क्षेत्र में नदी की जमीन पर प्लाटिंग चल रही है, और शाहबाद और बिलासपुर की मोती और गौर झीलें भी अतिक्रमण के कारण संकट में हैं।
आकाश सक्सेना ने जिलाधिकारी जोगेंद्र सिंह को लिखे पत्र में कोसी नदी के अवैध प्लाटिंग और खनन से बदले स्वरूप का जिक्र किया है। उन्होंने 1954 के रिकॉर्ड और नक्शों के अनुसार सभी नदियों और झीलों को पुराने स्वरूप में वापस लाने की मांग की है, ताकि बारिश का पानी नदियों में संरक्षित होकर किसानों की सिंचाई और भूगर्भ जलस्तर सुधारने में काम आ सके।
विधायक ने यह भी कहा कि अवैध खनन के कारण कोसी नदी की धारा कई बार बदली है। नियमानुसार, धारा बदलने पर रिक्त भूमि किसानों को आवंटित की जानी चाहिए, लेकिन रामपुर में ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने जिला प्रशासन से किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए कोसी नदी की धारा बदलने की स्थिति में रिक्त भूमि पर किसानों का अधिकार सुनिश्चित करने की मांग की है।
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