तुझे आने की जरूरत ही क्या है : पूज्य राधाकृष्ण जी महाराज
तमोगुणी शरीर को भी कलयुग में ठाकुर जी दर्शन दे रहे है ऐसा सौभाग्य किसका होगा : पूज्य राधाकृष्ण जी महाराज
पूज्य राधाकृष्ण महाराज जी ने आज तृतीय और अंतिम दिन की कथा की अमृत वर्षा सभी जगन्नाथ महाप्रभु के अनन्य भक्तो के लिए की। हम सेवा कार्य मे लगते है जितना लगते नही है उससे ज्यादा उसका बखान करते है जहां बखान और नाम है वहां सेवा नही, उसका कोई फल नही मिलता। वो कोई उपहार नही है वो तो सिर्फ व्यवहार मात्र है। महाराज जी ने आगे कहा कि हम कहते है भगवान कहाँ है कैसे मिलेंगे वो तो तुम्हारे सामने ही है लेकिन हम ही उन्हें देलह नही रहे है और मूर्ति मात्र मान रहे है सामने साक्षात जगन्नाथ बैठे है और हम इधर उधर ढूंढ रहे है।
आज हम जैसे तमोगुणी शरीर को ठाकुर जी दर्शन दे रहे है हम उनका नाम ले पा रहे है जबकि हम उसके लायक नही है ययही कलयुग है । अगर मन मे सेवा का भाव है तो वहां विवाद की कोई जगह नही है अगर विवाद है तो वहां सेवा भाव प्रधान नही है वहां अर्थ प्रधान है रुपया पैसा की प्रधानता है मेरा नाम हो ऐसा मन मे भाव होगा तो विवाद होगा ही और अगर सेवा का भाव प्रबल होगा तो विवाद होगा ही नही। जहां पवित्रता से रसोई बनती है ठाकुर जी को प्रसाद पवाने के भाव से रसोई बनती है वहां स्वयं ठाकुर जी वास करते है और आपके परिवार को खुशाल बनाएगी क्यों कि जैसा होगा अन्न वैसे ही होगा मन।
"मैं छप्पन भोग बनाऊँगी और अपने प्रभु को जिमाउंगी में मीठे बोल सुनाऊँगी जब राम मेरे घर आएंगे" इस धुन के साथ महाराज ने संदेश दिया कि रसोई की सेवा कितनी अनूठी है।
साथ ही जगन्नाथ प्रभु के भक्तों की कथा का रसपान सभी भक्तों ने किया। कथा के विश्राम पर महाराज जी के साथ साथ सभी भाव विभोर थे ये तीन दिन ऐसा आनंद रहा कि सब सूना सूना से लग रहा था इसलिए सभी भक्त अपने अश्रु नही रोक पाए।
कथा में रजत,आदित्य,वरुण जोशी,राहुल,हर्षित,पुष्कर,राघव,शुभम, शिवम,संजय,हरीश,संजू,पुष्कर अग्रवाल,देवांश,प्रखर,सिद्धार्थ,लव गुप्ता,कुश गुप्ता,विपिन,नरेश रस्तौगी आदि लोग उपस्तिथ रहे।
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