रामपुर: सुमेर चंद की अनुवादित रामायण, चित्रकला से सुसज्जित है और यह भारत की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर के रूप में रामपुर रज़ा लाइब्रेरी में संरक्षित है। यह पांडुलिपि "बिस्मिल्लाह" से शुरू होती है, जो इसे सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाती है।
रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी में रामायण की एक दुर्लभ पांडुलिपि सुरक्षित है। यह पांडुलिपि 1715 ईस्वी में सुमेर चंद द्वारा वाल्मीकि रामायण का फारसी भाषा में अनुवाद है। इस अनुवादित रामायण की खासियत यह है कि इसमें 258 मिनिएचर पेंटिंग्स हैं, जो इसे और भी अद्वितीय बनाती हैं।
रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी में मौजूद इस पांडुलिपि को देखने के लिए विद्वान और इतिहास प्रेमी दूर-दूर से आते हैं। यह पांडुलिपि न केवल भारतीय साहित्य और कला का अद्वितीय नमूना है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाती है।
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