**Rampur News: सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण फैसले के खिलाफ समाजिक संगठनों का विरोध**

रामपुर: सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त 2024 को आरक्षण के संबंध में दिए गए फैसले के खिलाफ आज विभिन्न समाजिक संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया था। 

फैसले के विरोध में सैकड़ों की संख्या में सामाजिक संगठन के लोग अम्बेडकर पार्क में इकट्ठा हुए। उन्होंने हाथों में झंडे लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया। भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात था, और ज्ञापन देने को लेकर पुलिस और संगठनों के बीच हल्की नोकझोंक भी हुई।

समाजिक संगठनों के नेताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को आरक्षण के संबंध में जो फैसला सुनाया, उसमें वर्जिकरण क्रीमी लेयर की धारा 3041/3042 का उपयोग किया गया है। उनका आरोप है कि यह अधिकार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की कैबिनेट को है, और किसी अध्यादेश को लागू करने के लिए यह पावर उनके पास है। 

संगठनों ने सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस किस दबाव में यह फैसला दिए हैं, यह उनके लिए स्पष्ट नहीं है। उनका कहना है कि आरक्षण छुआछूत के आधार पर मिलता है, न कि आर्थिक आधार पर। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंदिर में प्रवेश की अनुमति न मिलने के बावजूद, जो आर्थिक रूप से मजबूत थे, इसका संकेत है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू नहीं हो सकता। 

संगठनों का कहना है कि आज भी दलित समाज के लोगों के साथ भेदभाव होता है और यह व्यवस्था बदलने का प्रयास किया गया है। उनका मानना है कि यह एक बड़ा षड्यंत्र है जिससे दलित समाज को आपस में लड़ाने की कोशिश की जा रही है। वे मानते हैं कि उन्नति शिक्षा और आत्म-सुधार से होती है, और आज भी पढ़ाई और राजनीति में पिछड़े लोगों को सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।

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**FAQs:**

1. **What was the response to the Supreme Court’s reservation decision in Rampur?**  
   The response to the Supreme Court’s reservation decision in Rampur was minimal. Despite the announcement of a Bharat Bandh by social organizations, the effect was not noticeable in the region.

2. **What were the key concerns raised by the social organizations regarding the Supreme Court’s decision?**  
   The social organizations raised concerns that the Supreme Court’s decision misapplied the creamy layer provisions and questioned the validity of the decision, arguing that it should be based on social rather than economic factors.

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