Rampur News:आरक्षण के वर्गीकरण से योग्य भी हो जाएंगे अयोग्य, कोलोजियम न्यायपालिका से फिर गुलाम बनेगा भारत

सुप्रीम कोर्ट की विशेष खंडपीठ द्वारा अनुसूचित जाति व जनजाति के आरक्षण पर दिए निर्णय के बाद पूरे देश की तमाम दलित पार्टी व संगठनों  में आक्रोश फैल गया।रामपुर में सभी ने एकजुटता के साथ राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन जिलाधिकारी जोगिंदर सिंह को सौंपा। सुप्रीम कोर्ट की खण्डपीड के द्वारा दिये गए निर्णय के अनुसार देश के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति का तीन भागों में वर्गीकरण कर दिया गया। जिसके अंतर्गत जिस परिवार को सरकारी नौकरी का आरक्षण का लाभ मिल चुका है उस परिवार के सदस्यों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। आरक्षण का लाभ उन परिवारों को दिया जाएगा।जिनके पुर्वजों को अभी तक आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका है। ऐसे आरक्षण विरोधी निर्णय से योग्य अभ्यर्थी आरक्षण से बाहर होंगे और जो अभ्यर्थी अयोग्य होंगे उन्हें आरक्षण में शामिल किया जाएगा। चयन प्रक्रिया के दौरान आरक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को आयोग्य ठहराकर रिक्त स्थानों पर सामान्य वर्ग के अयोग्य अभ्यर्थियों को साजिस के तहत योग्य बताकर चयन कर दिया जाएगा। दलित समाज की पार्टियों एंव संगठनों के द्वारा इसे आरक्षण विरोधी बताया गया। कहा की भारत की  न्याय कार्यपालिकाओं में असंवैधानिक तरीके से  कोलोजियम सिस्टम लागू है। कोलोजियम टीम ने मनुवादी मानसिकता के चलते एससी एसटी व पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को वर्गों में बांट दिया। जजों द्वारा दिया गया फैसला एससी एसटी के लोगों को आपस मे लड़ाने का काम किया है। संवैधानिक नियमानुसार देश जिस तरह से यूपीएससी की परीक्षा आयोजित की जाती है।उसी तरह देश के न्यायालयों में न्यायधीशों की नियुक्ति की जाए। सुप्रीम कोर्ट की खण्डपीड द्वारा दिये गया निर्णय पूर्ण रूप से असंवैधानिक है। नौंवी अनुसूची के तहत खण्डपीड के द्वारा दिये गए फैसले को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। नौवीं अनुसूची के तहत के देश मे अभी तक एससी एसटी, पिछड़ा वर्ग व अति पिछड़ा वर्ग का आरक्षण लागू नहीं हो पाया है। आरक्षण के तहत सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए। वर्तमान व पिछली केंद्र व राज्यों सरकारें मनुवादी विचार धारा के चलते संपूर्ण आरक्षण को लागू करने में गुरेज किया है। यदि देश की उच्च स्तर , सर्वोच्च स्तर की न्यायपालिका व केंद्र की सरकार देश के मूल निवासियों के साथ असंवैधानिक कार्य करेंगी तो उन्हें इसका परिणाम भुगतना होगा। बुधवार को भारत बंद का आव्हान किया गया है। यदि सुप्रीम कोर्ट की खण्डपीड द्वारा निर्णय बापस नहीं लिया गया तो देश के मूलनिवासी उग्र आंदोलन को बाध्य रहेंगे। प्रदर्शनकारियों में बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी, भीम आर्मी,भीम आर्मी जय भीम, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति, समण संघ, अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ, संत रविदास संघर्ष समिति, अखिल भारतीय जाटव महासभा, राष्ट्रीय बौद्ध महासभा आदि संगठनों के लोग मौजूद रहे।

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