रामपुर के राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिंदी के असिस्टेंट प्रोफेसर *डॉ. अब्दुल लतीफ* ने हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित पत्रकार वार्ता में भाषाई विवादों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि कोई भी जीवित भाषा तब तक समृद्ध नहीं हो सकती जब तक वह अन्य भाषाओं के शब्दों को ग्रहण नहीं करती। इसलिए भाषाई विवादों से बचकर हिंदी की उन्नति के लिए अन्य भाषाओं के साथ सहयोग करना आवश्यक है। 🌐📚
डॉ. लतीफ ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी को जनमानस की भाषा बनाने के लिए जरूरी है कि गैर-हिंदी भाषी लोगों को आधुनिक तकनीक की मदद से आम बोलचाल की हिंदी सिखाई जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि दोनों भाषाओं, हिंदी और उर्दू, को मिलाकर एक ऐसी "हिंदुस्तानी" भाषा का विकास किया जाए, जिसमें दोनों भाषाओं के शब्दों का आदान-प्रदान हो। इससे भाषाएं भी फलेंगी और आपसी रिश्ते भी मजबूत होंगे। 🤝📖
हिंदी को प्रचलित बनाने के लिए, उन्होंने सुझाव दिया कि हिंदी को कक्षा 1 से 12 तक कामकाजी भाषा के रूप में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए, और साहित्य को भाषा से अलग किया जाए। इससे हिंदी का विरोध नहीं होगा और लोग इसे स्वेच्छा से अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में मानसिक रूप से स्वीकृत हो चुकी है, और इसे आवश्यकता के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। 🇮🇳🗣️
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**FAQs:**
1. *What is Dr. Latif's view on language cooperation?*
- Dr. Latif emphasizes the need for cooperation between languages, especially between Hindi and Urdu, to create a stronger cultural bond.
2. *What suggestion did Dr. Latif give for teaching Hindi in schools?*
- He suggested making Hindi the working language from Class 1 to 12 without the inclusion of literature, to make it more widely accepted without opposition.
**Poll:**
Do you agree with Dr. Latif's idea of combining Hindi and Urdu to form a common language?
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