यासीन उर्फ नन्हे राजमिस्त्री का काम करके परिवार का पालन पोषण करते थे। शारिक दिव्यांग है इसलिए पूरे घर को फिरोसीन से बहुत उम्मीदें थीं। फिरोसीन को पढ़ाने में परिवार ने पूरी जान लगा दी। मृतका फिरोसीन एमएससी की छात्रा थी। डॉक्टर बनना उसका सपना था। पिता को इकलौती पुत्री पर बहुत नाज था। राफे को उसकी बहन किरण की उम्मीद थी कि वह डॉक्टर बनकर उनका नाम रोशन करेगी। लेकिन कुदरत ने पिता का साया और बहन के डॉक्टर बनने की उम्मीद की किरण दोनों एक साथ छीन ली।मृतका फिरोसीन को घर की बहुत चिंता थी। डॉक्टर बनने के सपने के साथ वह चाहती थी कि वह किसी तरह अपने पैरों पर खड़ी हो जाये और अपने परिवार का पालन पोषण करने में मदद करे। उसकी दूसरी तमन्ना पुलिस अधिकारी बनने की थी। बहुत ही उम्मीद के साथ उसने पुलिस भर्ती में आवेदन किया था। परीक्षा नजदीक आते ही उसे बहुत खुशी थी कि वह पुलिस में भर्ती हो जाएगी और एक दिन बड़ी पुलिस अधिकारी बनेगी। बीते शनिवार को उसका पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा थी। पिता के साथ परीक्षा देने मुरादाबाद गयी थी। पुलिस की परीक्षा देने के बाद वह बहुत खुश थी कि उसका पुलिस में निश्चित चयन हो जाएगा।
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