रामपुर: मशहूर ग़ज़ल और शास्त्रीय गायन के उस्ताद ओसामा हुसैन खां का अचानक निधन हो गया, जिससे पूरे संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन की ख़बर से हर कोई सदमे में है, क्योंकि उनका हंसता-खिलखिलाता चेहरा अब हमारे बीच नहीं रहा। *इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजिऊन*।
ओसामा हुसैन खां का ताल्लुक़ भारत के पहले पद्मभूषण सम्मान प्राप्त संगीतकार उस्ताद मुश्ताक हुसैन खां के घराने से था। उन्हें यह सम्मान 1957 में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्रदान किया गया था। रामपुर–सहसवान घराने की इस शास्त्रीय संगीत की पंरपरा को ओसामा हुसैन खां अपने अंदाज़ में आगे बढ़ा रहे थे।
ओसामा हुसैन खां मुख्य रूप से शास्त्रीय संगीत के माहिर थे, जिसमें छोटा खयाल, बड़ा खयाल, तराना, दादरा, ठुमरी और बंदिशों की महफिलों में उनका अहम योगदान था। इसके साथ ही, उन्हें ग़ज़ल, भजन और गीतों में भी महारत हासिल थी।
वे अपनी मिलनसार और स्नेही शख्सियत के लिए भी जाने जाते थे। उनकी यादें और उनकी संगीत की धुनें हमेशा हमारे दिलों में बसी रहेंगी। उनका जाना संगीत प्रेमियों के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।
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