हेरिटेज चिल्ड्रन एकेडमी स्कूल में शोक सभा कर देश के प्रसिद्ध उधोगपति रतन टाटा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर हिंदी शिक्षिका योगिता ओमप्रकाश ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रतन टाटा एक प्रमुख भारतीय उद्योगपत्ति, परोपकारी और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रहे, जिन्हें व्यापार परिदृश्य में उनके महत्वपूर्ण योगदान और उनके परोपकारी प्रयासो के लिए जाना जाता है। रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मुंबई के बीच कैंडी अस्पताल में भर्ती होने के बाद 9 अक्टूबर, 2024 को उनकी मृत्यु की पुष्टि की गई। रतन दादा एक भारतीय उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष रहे। 1990 से 2012 तक वह टाटा समूह के अध्यक्ष रहे और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम अध्यक्ष बने। समर्पित परोपकारी व्यक्ति रहे और कंपनी के धर्मार्थ ट्रस्ट के धमुख भी और आधे से अधिक लाभ विभिन्न धर्मार्थ पहलों के लिए दिए जाते हैं। उन्हें भारत में दूसरा और तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण 2000 में और पद्य विभूषण 2008 में दिया गया था।वह 1962 में वे टाटा संस में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने जमीनी पर काम किया। यह एक कठिन और थका देने वाला काम था, लेकिन उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय के बारे में अनुभव और समझ हासिल की।टाटा समूह के चेयरमैन के रूप में उन्होंने कंपनी को ऐसी ऊंचाइयों पर पहुंचाया कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित मान्यता मिली। कंपनी ने बड़ी वित्तीय सफलता हासिल की और टाटा समूह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज तक पहुंच गया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह कोरस, जगुआर, लैंड रोवर और टेटली जैसी कंपनियों के अधिग्रहण के साथ एक वैश्विक ब्रांड बन गया। टाटा नैनो और टाटा इंडिका ऑटोमोबाइल की कल्पना और निर्माण उनके नेतृत्व में किया गया था।एक प्रमुख परोपकारी व्यक्ति के रूप में, उन्होंने अपने हिस्से का 65 प्रतिशत से अधिक हिस्सा धर्मार्थ ट्रस्टों में निवेश किया है। उनके जीवन का एक प्रमुख लक्ष्य भारतीयों को बेहतर जीवन स्तर प्रदान करना और मानव विकास सुनिश्चित करना रहा है।रतन टाटा को जीवन पर्यंत विभिन्न उपलब्धियां और पुरस्कार दिए गए।पद्म भूषण (भारत सरकार का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान (2000),ओरिएंटल रिपब्लिक ऑफ उरुग्वे का पदक उरुग्वे सरकार (2004),अंतर्राष्ट्रीय विशिष्ट उपलब्धि पुरस्कार (बी'नाई विथ इंटरनेशनल (2005),लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस की मानद फैलोशिप (2007), पद्म विभूषण (भारत सरकार का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान (2008), इटालियन गणराज्य के ऑर्डर ऑफ मेरिट के 'बैंड ऑफिसर' का पुरस्कार (इटली सरकार (2009), मानद नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर, यूनाइटेड किंगडम (2009) की उपाधि, ओस्लो बिजनेस फॉर पीस अवार्ड (बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन (2010), ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर का मानद नाइट गैंड क्रॉस (2014)। साथ ही COVID में उन्होंने देश को 1500 करोड़ से मदद की। ऐसे मानवीय व्यक्तित्व को भारतीयता की पहचान और भारतीयों के दिलों में स्थान बना रहेगा।इस अवसर पर विद्यालय के प्रबंधक मनोज कुमार पांडे, प्रधानाचार्या डॉ रीना दुबे, कोऑर्डिनेटर एल आर कुशवाहा, सरफराज आलम खान, दीपांशु शर्मा, महेंद्र कुमार पांडे, दुर्गा प्रसाद मौर्य और समस्त विद्यार्थी एवं शिक्षक शिक्षिकाएं भी शोकसभा में उपस्थित रहे।
The Menu of this blog is loading..........
0 टिप्पणियाँ