रामपुर: मदरसा जामिया उल उलूम फुरक़ानिया का 76वां जलसा-ए-दस्तारबंदी शानदार तरीके से आयोजित किया गया। इस खास मौके पर मेहमान-ए-ख़ुसूसी डॉ. हफीज़ुर्रहमान, कन्वीनर खुसरो फाउंडेशन, नई दिल्ली, ने तालीम की अहमियत और रामपुर के शैक्षणिक योगदान पर रोशनी डाली। 📚🕌
मदरसे के प्रिंसिपल व जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद रेहान ख़ां और मौलाना मोहम्मद नासिर ख़ां ने भी जलसे में अपने विचार व्यक्त किए। इसके बाद मदरसे से फारीगीन (फारिग हुए छात्र), मुफ्ती, आलिम, क़ारी और हुफ्फ़ाज़ की दस्तारबंदी की गई। 🏅📖
कार्यक्रम के समापन पर क़ाज़ी शहर हजरत मौलाना सय्यद खुशनूद मियां ने विशेष दुआ कराई, जबकि मुफ्ती मेहबूब अली साहब ने सभी मेहमानों और उपस्थित लोगों का शुक्रिया अदा किया।
इसके बाद मेहमान-ए-ख़ुसूसी, मदरसे के प्रबंधक डॉ. शायरुल्ला ख़ां की निवास पर पहुंचे, जहां अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर हज़हर इनायती, ज़िला पंचायत सदस्य डॉ. नूर मोहम्मद, इमाम जामा मस्जिद मौलाना अहतेसामुल्ला ख़ां, मौलवी रहमत अली फरक़ानी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। 🤝🎤
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Latest news from Rampur
- 76th Annual Dastarbandi Ceremony at Jamia Uloom Furqania
- Scholars and dignitaries discuss the importance of education
- Religious and educational contributions of Rampur highlighted
FAQs
Q1: दस्तारबंदी का क्या महत्व होता है?
A1: दस्तारबंदी एक धार्मिक और शैक्षिक सम्मान है, जो इस्लामी शिक्षा पूरी करने वाले छात्रों को दिया जाता है।
Q2: इस कार्यक्रम में कौन-कौन शामिल हुआ?
A2: इस जलसे में धार्मिक विद्वानों, मुफ्तियों, कवियों और गणमान्य लोगों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. हफीज़ुर्रहमान, हज़हर इनायती और डॉ. नूर मोहम्मद शामिल थे।
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