रामपुर, 03 फरवरी 2025 – इमाम हुसैन और हजरत अब्बास की यौमे पैदाइश पर इमामबाड़ा किला में शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर शहरभर के लोग जुटे और शायरों ने अपने कलाम से रातभर महफिल को सजाए रखा।
कार्यक्रम की शुरुआत 🕋
➡️ पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां द्वारा शमा रौशन कर जश्न का आगाज किया गया। इसके बाद मौलाना मूसा रजा ने कुरान की तिलावत की।
➡️ महफिल की निज़ामत अब्बास हैदर सहरी ने की, जिन्होंने शायर फ़ज़ल फ़तेहपुरी को दावते सुखन दी।
शायरों ने पेश किए शानदार कलाम ✒️
➡️ इज़रान कानपुरी ने कहा – “क्या होता हमारे हाथ में गर होती जुल्फिकार, जब उसने एक नेज़ पे लश्कर उठा लिया।”
➡️ डॉ. मुहिब रजा मौरानवी ने अपने कलाम में कहा – “रख दी हमने एक रोटी ताजयि के साये में, अब कहां मुमकिन हमारे घर को बरकत छोड़ दे।”
➡️ साहिल मौरानवी ने शेर पढ़ा – “कोई यज़ीद नाम भी रखता नहीं है अब, ज़ालिम को ऐसे कर दिया रुसवा हुसैन ने।”
महफिल में इन शायरों ने भी पेश किए अपने कलाम 📜
➡️ हसन मेहंदी, मोहम्मद हैदर सहरी, मुंतजरि सल्लमहू, कोनैन काज़मी, अलीम ज़ैदी, और हैदर किरतपुरी ने भी अपने कलाम से महफिल में रंग भर दिया।
➡️ कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा, जहां शायरों को ख़ूब वाहवाही मिली।
विशिष्ट मेहमान 👑
➡️ पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां और इमामे जुमा मौलाना सैयद अली मोहम्मद नकवी कार्यक्रम के मुख्य मेहमान रहे।
➡️ महफिल के संयोजक: तस्लीम सहरी, मिर्जा मुज्तबा अली बेग, पूर्व मंत्री के पीआरओ काशिफ खां, तकी अब्बास, फैसल रिजवी, और कई अन्य समाजसेवी एवं लोग उपस्थित रहे।
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FAQs:
🔹 What is the significance of the Yom E Paidaish celebration for Imam Hussain and Abbas Alambrdar?
Yom E Paidaish is a significant religious event for Shia Muslims, commemorating the birth of Imam Hussain and his brother, Abbas Alambrdar, both of whom are symbols of courage, sacrifice, and faith in Islam.
🔹 Who were the main dignitaries at the event?
The main dignitaries included former minister Nawab Kazim Ali Khan aka Nawed Miyan and Imam-e-Juma Maulana Syed Ali Mohammad Naqvi, along with several other local leaders and community members.
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