रामपुर, 1 मार्च 2025: रामपुर के छात्र सय्यद मोमिन इकबाल की पुस्तक का भव्य विमोचन बांग्लादेश के कुमिल्ला में संपन्न हुआ। उन्होंने बांग्ला भाषा के प्रख्यात कवि डॉक्टर तृप्तीष चन्द्र घोष की कविताओं का उर्दू में अनुवाद किया है। यह रामपुर और भारतीय साहित्यिक जगत के लिए गर्व की बात है। 🌍📚
📌 पुस्तक विमोचन की मुख्य बातें:
✅ पुस्तकों का नाम: "काविश" और "चश्म ए सालिस"
✅ प्रकाशन स्थान: कुमिल्ला, बांग्लादेश
✅ मुख्य अतिथि: ढाका विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. ग़ुलाम मौला
✅ उपस्थित विशिष्ट जन: इब्राहिम लोहारे, मुअज्जेवान अली, सय्यद मुज़ैन, ओसामा खान, उदित शर्मा, विकास सिंह, जावेद खान आदि।
🎤 डॉ. ग़ुलाम मौला ने कहा: "भाषा और साहित्य किसी धर्म या संप्रदाय तक सीमित नहीं होते, यह पूरी मानव जाति के लिए होते हैं।" 🌏🖋️
🏆 मोमिन इक़बाल ने रामपुर का नाम किया रोशन
रामपुर के सिविल लाइंस निवासी सय्यद मोमिन इक़बाल का अदबी दुनिया से गहरा रिश्ता है। वे बांग्लादेश के मयनमोती मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के फाइनल ईयर के छात्र हैं और साहित्य में भी रुचि रखते हैं। उनकी इस उपलब्धि पर सौलत पब्लिक लाइब्रेरी सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य काशिफ खान ने कहा, "मोमिन ने रामपुर का नाम रोशन किया है, हम सबको उन पर गर्व है।" 🌟👏
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FAQs:
Q1: सय्यद मोमिन इकबाल की पुस्तक "काविश" किसके काव्य संकलन का अनुवाद है?
A1: यह बांग्लादेश के प्रसिद्ध कवि डॉ. तृप्तीष चन्द्र घोष की कविताओं का उर्दू अनुवाद है।
Q2: "चश्म ए सालिस" पुस्तक किसकी कविताओं का अनुवाद है?
A2: यह डॉ. मल्लिका विश्वास की बांग्ला कविताओं का उर्दू और अंग्रेज़ी अनुवाद है।
📊 Poll:
क्या साहित्य और अनुवाद से विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने में मदद मिलती है?
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