86 वें उर्से इनायती राहती का दूसरा दिन था। इस साल का उर्स भैसोड़ी शरीफ़, में निहायत धूम धाम से मनाया जा रहा है। गुरुवार को भी दिन में सुबह 7 बजे दरगाह शरीफ़ पर क़ुरआन ख़्वानी का आयोजन हुआ, ग़ाजीपुर से तशरीफ़ लाए हाफिज़ व क़ारी नवाज़ अहमद सईदी ने अपने शागिर्दों के साथ दरगाह शरीफ़ पर फ़ातेहा व सलातो सलाम पढ़ा क़ुरआन ख़्वानी के बाद सभी के लिए दुआए ख़ैर की। दरगाह शरीफ़ पर, ज़ाएरीनों द्वारा चादर चढ़ाने का सिलसिला पुरानी परम्परा के मुताबिक़ जारी रहा, ख़लीफ़ा हज़रात ने अपने अपने मुरीदों के साथ बारी बारी से दरगाह सनदुल औलिया पर चादर चढ़ाई, और फ़ूलो का ख़ुशबू का नज़राना पेश किया। बाहर से आए सभी ख़लीफ़ा हज़रात ने अपनी ख़ानक़ाहों में लंगर के इंतेज़ाम किया और भारी मात्रा में लंगर बाँटा। कलकत्ता से सूफ़ी निज़ाम, भिवंड़ी से सूफ़ी इस्लाम चौधरी फ़साहती, मुंम्बई से सूफ़ी एजाज़ सबाहती, सूफ़ी अनवर, सूफ़ी इरफ़ान बाबा आदि लोग तशरीफ़ लाए। उर्स में आने वाले ज़ाएरीन हज़रात का सिलसिला जारी है। दरगाह शरीफ़ पर चादर चढ़ाने की परम्परा बहुत प्राचीन है, जिस तरह से हर साल काबे का गिलाफ़ बदला जाता है ठीक उसी तरह अल्लाह के नेक बंदों की मज़ार पर चादर पेश की जाती है, क्योंकि अल्लाह के वली अपनी ज़िंदगी में अल्लाह का क़ुर्ब(अल्लाह से नज़दीकी) हासिल कर लेते हैं और यही वजह है कि उनकी बारगाह में हाज़िरी देने से और उनकी वसीले से अल्लाह दुआएं मांगने से अल्लाह दुआएं क़ुबूल कर लेता हैं।उर्स में आने वाले सभी हज़रात हरगाह शरीफ़ के सज्जादानशीन हज़रत ख़्वाजा मुहम्मद सबाहत हसन शाह मद्देज़िल्लहुल आली की बैठक में उनसे मुलाक़ात की, और उनकी दुआ तलब की। दरगाह इनायती, राहती, फ़साहती के सज्जादानशीन हज़रत ख़्वाजा मुहम्मद सबाहत हसन शाह ने आए हुए सभी ज़ाएरीन व ख़ुल्फ़ा हज़रात का हाल चाल जाना।आपके पास जो भी शख़्स मुलाक़ात के लिए आता है आप सभी को अपनी दुआएं देते हैं।कल उर्स का तीसरा दिन है और कल दिन में 10.30 बजे इस साल के उर्से पाक का क़ुल शरीफ़ का एहतेमाम होगा, जिसमें उर्स में आए हुए सभी लोग शिरकत करेंगे, और रात को 9 बजे महफ़िले समा का आयोजन होगा जिसमें मशहूर क़व्वाल हज़रत सूफ़ियाना कलाम पेश करेंगे। महफ़िले समां का सिलसिला पूरी रात जारी रहेगा।
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